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मंगलवार, 26 मार्च 2013

भारतीय उच्चायोग, लन्दन द्वारा “सम्मान-समारोह" संपन्न

प्रस्तुतकर्ता Kavita Vachaknavee पर 8:16 pm लेबल: विश्वम्भरा, HCIL, Hindi, Hindi : as an international language, Hindi in UK, Indian High Commission, Kavita Vachaknavee, UK Hindi Awards at India House, World Hindi Day

भारतीय उच्चायोग, लन्दन द्वारा “सम्मान-समारोह" संपन्न
डॉ.कविता वाचक्नवी को ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान’ प्रदत्त

लन्दन स्थित भारतीय उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान प्राप्त करते हुए डॉ. कविता वाचक्नवी.

ब्रिटेन के विभिन्न नगरों से आए लेखक, पत्रकार तथा कला एवं साहित्य क्षेत्र के प्रतिष्ठित अतिथिगण. 


डॉ. कविता वाचक्नवी को प्रदत्त स्मृतिचिह्न और प्रशस्तिपत्र

 डॉ. कविता वाचक्नवी को  स्मृतिचिह्न भेंट करते हुए भारतीय उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती. 

 “जॉन गिलक्रिस्ट हिन्दी शिक्षण सम्मान” प्राप्त करते हुए प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा

डॉ. कविता वाचक्नवी को प्रदत्त प्रशस्ति-पत्र

भारतीय उच्चायोग, लंदन द्वारा

 “ सम्मान-समारोह"

 सम्पन्न 

24 मार्च 2013

भारतीय जीवन मूल्यों के वैश्विक प्रचार-प्रसार की संस्था “विश्वम्भरा” की संस्थापक-महासचिव डॉ.कविता वाचक्नवी को विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय उच्चायोग, लंदन द्वारा इण्डिया हाउस में आयोजित समारोह में “आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान” किया गया। इस अवसर पर भारत के उच्चायुक्त महामहिम डा. जे॰ भगवती ने उन्हें नकद राशि, स्मृति चिह्न, शॉल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। उन्हें यह सम्मान मुख्यतः इन्टरनेट व प्रिंट मीडिया द्वारा भाषा, साहित्य, संस्कृति व पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है.


उल्लेखनीय है कि अमृतसर में जन्मीं कविता वाचक्नवी समाज-भाषा-विज्ञान तथा काव्यसमीक्षा जैसे विषयों में 'दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद' से एमफिल और पीएचडी अर्जित करने के बाद सपरिवार लन्दन में रह रही हैं. भारतीय उच्चायोग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि "आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान" ग्रहण करते हुए डॉ कविता वाचक्नवी ने अपने दादाश्री व पिताश्री का विशेष उल्लेख किया व लाहौर से हिमाचल और पंजाब तक उनके किए कार्यों व बलिदानों को उपस्थितों के साथ बाँटते हुए बताया कि कैसे हिन्दी सत्याग्रह में जेल में रहने से लेकर हिमाचल को हिन्दीभाषी राज्य का दर्जा दिलाने तक के लिए उनके परिवार ने कष्ट सहे। वाचक्नवी ने अपना सम्मान उन्हीं को समर्पित करते हुए कहा कि वे यह सम्मान उनके प्रतिनिधि के रूप में ग्रहण कर रही हैं। उन्होंने राजदूत व उच्चायोग से अनुरोध किया कि ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग की वेबसाईट को द्विभाषी बनाया जाना चाहिए व उसे अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी में भी उपलब्ध होना चाहिए।


विज्ञप्ति के अनुसार इस समारोह में दो अन्य विशिष्ट हिंदी सेवियों तथा एक हिंदी संस्था को भी सम्मान प्रदान किए गए. “जॉन गिलक्रिस्ट हिन्दी शिक्षण सम्मान” से यॉर्क विश्वविद्यालय के विख्यात भाषाविद प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा को तथा “डा॰ हरिवंश राय बच्चन हिन्दी साहित्य सम्मान” से बर्मिंघम के हिंदी लेखक डॉ॰ कृष्ण कुमार को सम्मानित किया गया जबकि नाटिङ्घम की संस्था “काव्य रंग” को “फ़्रेडरिक पिनकोट हिन्दी प्रचार सम्मान” प्रदान किया गया.


इस अवसर पर सम्मानितों को बधाई देते हुए सभा को संबोधित अपना वक्तव्य हिन्दी में देते हुए उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती ने कहा कि वे स्वयं असमिया भाषी होते हुए दिल्ली में रहने के कारण हिन्दी में व्यवहार करते रहे हैं व उनकी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी रही है। उन्होने ज़ोर देकर कहा कि निजी रूप से वे त्रिभाषा नीति को भारत के लिए श्रेयस्कर समझते हैं। विश्व पटल पर भारत से बाहर के लोगों के लिए अंग्रेजी, समस्त भारतीय कार्यकलापों के लिए हिन्दी व अपनी मातृभाषा अथवा एक प्रांतीय भाषा प्रत्येक भारतीय को अवश्य सीखनी पढ़नी चाहिए।


“जॉन गिलक्रिस्ट यू.के.हिन्दी शिक्षण सम्मान” स्वीकार करते हुए प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा ने अपने वक्तव्य में यॉर्क विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम हिन्दी अध्यापन प्रारम्भ होने सम्बन्धी अपने संस्मरण सुनाए और यूके में हिन्दी अध्यापन से जुड़ी स्थितियों का उल्लेख करते हुए 35 वर्ष के अध्यापन का उल्लेख किया। इसी प्रकार "डॉ. हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य सम्मान" ग्रहण करते हुए डॉ. कृष्ण कुमार ने भारत में संस्कृत, हिंदी और दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भावपूर्ण अपील करते हुए चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करने पर आने वाले दिनों में भारत को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।


समारोह में “डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी प्रकाशन अनुदान योजना” के अंतर्गत श्रीमती उषा वर्मा को उनकी पुस्तक 'सिम कार्ड तथा अन्य कहानियाँ’ और डा॰ कृष्ण कन्हैया को उनके काव्य संग्रह 'किताब जिंदगी की’ के प्रकाशन हेतु नकद राशि और मानपत्र दिया गया।


लंदन स्थित इंडिया हाउस में हुए इस पुरस्कार समारोह में उप उच्चायुक्त डॉ. वीरेंद्र पाल और उच्चायोग में मंत्री (समन्वय) एसएस सिद्धू भी उपस्थित थे। सिद्धू जी ने अपना स्वागत वक्तव्य हिन्दी में दिया व धन्यवाद वक्तव्य भी डॉ वीरेंद्र पॉल द्वारा हिन्दी में ही दिया गया। कार्यक्रम का संचालन उच्चायोग के हिन्दी व संस्कृति अताशे श्री बिनोद कुमार ने सफलतापूर्वक किया। ब्रिटेन के विभिन्न नगरों से आए लेखक, पत्रकार तथा कला एवं साहित्य क्षेत्र के भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में समारोह में उपस्थित थे ।

चित्र परिचय –
  • 1. लन्दन स्थित भारतीय उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान प्राप्त करते हुए डॉ. कविता वाचक्नवी.
  • 2. ब्रिटेन के विभिन्न नगरों से आए लेखक, पत्रकार तथा कला एवं साहित्य क्षेत्र के प्रतिष्ठित अतिथिगण.
  • 3. डॉ. कविता वाचक्नवी को प्रशस्तिपत्र और स्मृतिचिह्न भेंट करते हुए भारतीय उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती.
  • 4. “जॉन गिलक्रिस्ट हिन्दी शिक्षण सम्मान” प्राप्त करते हुए प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा.
[प्रेषक – डॉ. ऋषभदेव शर्मा (संवीक्षक – ‘विश्वम्भरा’), प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, खैरताबाद, हैदराबाद-500004; मोबाइल – 08121435033]  
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स्थान: London, UK

सोमवार, 16 जनवरी 2012

इज़रायल में विश्व हिंदी दिवस, 2012

प्रस्तुतकर्ता Kavita Vachaknavee पर 5:32 pm लेबल: Genady Shlomper, Hindi, Hindi : as international language, Tel-Aviv, World Hindi Day


 इज़रायल के तेल-अवीव विश्वविद्यालय में विश्व हिंदी दिवस, 2012
डॉ. गेनादी श्लोम्पेर
(हिन्दी आचार्य : तेल-अवीव विश्वविद्यालय)



12 जनवरी 2012 को इज़रायल के तेल-अवीव विश्वविद्यालय में विश्व हिंदी दिवस बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया गया। यहाँ हिंदी दिवस मनाने की परंपरा सन 2000 में शुरू हुई थी जब तेल-अवीव विश्वविद्यालय के पूर्वी एशिया अध्ययन विभाग में हिंदी का कोर्स चलाया गया। शुरू शुरू में हिंदी दिवस शिक्षा वर्ष की समाप्ति का प्रतीक था। 


विद्यार्थी हिंदी समारोह में हिंदी की उस जानकारी का प्रदर्शन करते थे जिसे साल भर के श्रम से धारण कर लेते थे। शुरू से ही हमने औपचारिकता को टाल दिया। हमारे यहाँ हिंदी के महत्त्व पर तूल भाषण नहीं होते। अधिकारियों के भाषणों से हमने विद्यार्थियों की गतिविधियों को प्राथमिकता दी है। सभी हिंदी दिवस रंगमंचीय रूप लेकर मनाए गए। उन तमाशों में संचालन करनेवालों और अभिनेताओं की भूमिकाएँ विद्यार्थी ही निभाते हैं। हाँ, समारोह की तैयारियों का मुख्य बोझ हिंदी के अध्यापक को उठाना पड़ता है। लेकिन समारोह के जो परिणाम होते हैं, उनसे सब प्रयत्नों की भर-पाई होती है। हिंदी दिवस सही मायनों में एक त्यौहर बन जाता है। विद्यार्थी बच्चों की तरह खुश होते हैं। हिंदी भाषा नाटक, कविता, गाना और फ़िल्मी डायलॉग बनकर, ढल कर एकदम प्राणवान और कहीं ज़्यादा आकर्षक बन जाती है। 










जब 2006 में विश्व हिंदी दिवस मनाया जाने लगा, तो हमारे विश्वविद्यालय में भी हिंदी समारोह की तिथि  10 जनवरी तय कर दी गयी। तब से भारतीय राजदूतावास भी हिंदी दिवस के आयोजन में हमारी सहायता करने लगा। हर समारोह का श्रीगणेश भारतीय राजदूत करते हैं। इस तरह हमारे उत्सवों में चार-चाँद लगे।


पिछले बरसों में हमने हिंदी समारोह आयोजित करने में काफ़ी अनुभव प्राप्त किया है, और हमारे कार्यक्रम साल बसाल ज्यादा रंगीन और प्रभावशाली होते गये हैं। हर एक समारोह का अपना अपना विषय होता है। उदाहरण के लिये एक समारोह महात्मा गांधी को समर्पित था। एक और समारोह हिंदी की उन्नति के परिप्रेक्ष्य के बारे में था।


 इस वर्ष हिंदी दिवस का विषय था ‘भारत का साहित्य’। भारतीय साहित्य की चर्चा करते हुए छात्रों ने तीन नाटक खेले। दो नाटक ‘पंचतंत्र’ की कहानियों पर आधारित थे, तथा एक नाटक प्रेमचंद के उपन्यास ‘रंगभूमि’ के एक अंश पर। हिंदी फ़िल्मों को भी हमारे कार्यक्रम में उचित जगह मिली। विद्यार्थियों ने हिंदी फ़िल्मों के एकाध दृश्यों को अभिनीत किया और कई गाने गाए।


 एक प्रथा के अनुसार समारोह के अंत में भारतीय साहित्य और संस्कृति पर प्रश्नोत्तरी की गयी, जिसमें कई छात्रों ने गहरी जानकारी प्रदर्शित करके पुरस्कार जीते। यह पुरस्कार उन्हें भारतीय राजदूतावास के प्रथम सचिव श्री झा ने दिये। समारोह में आए हुए सैकड़ों हिंदी प्रेमियों ने ज़ोर की तालियों से विद्यार्थियों का प्रोत्साहन किया।


























































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स्थान: Tel Aviv University, Tel Aviv, Israel
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