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सोमवार, 19 मार्च 2012

European Hindi Conference 2012, Spain

प्रस्तुतकर्ता Kavita Vachaknavee पर 7:38 pm लेबल: विश्व हिन्दी सचिवालय, European Hindi Conference 2012, Genady Shlomper, Hindi, Hindi : as an international language, International Conference, Kavita Vachaknavee
यूरोपियन हिन्दी कॉन्फ्रेंस 2012, स्पेन से लौटकर 
- (डॉ.) कविता वाचक्नवी











गत दिनों मैंने स्पेन के वय्यादोलिद विश्व विद्यालय में 15 से 17 मार्च को आयोजित होने जा रही यूरोपीय हिन्दी संगोष्ठी 2012 की सूचना देते हुए उसके विभिन्न सत्रों का उल्लेख किया था। यहाँ क्लिक कर उसे देखा जा सकता है। 



परसों रात्रि स्पेन की यात्रा से लौटी हूँ।  यह संगोष्ठी कल्पनातीत थी। अधिकांश ने जीवन में इतनी ठोस, सफल और सार्थक संगोष्ठी शायद ही देखी सुनी होगी। 21/22  देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी से सम्पन्न हुई अद्भुत वैचारिक संगोष्ठी की सफलता से अभिभूत हूँ।  


उन सब से मिलना मेरे जीवन का अविस्मरणीय अनुभव था। सब की सहज आत्मीयता व स्नेह से सराबोर हो कर लौटी हूँ, मानो एक नई संजीवनी शक्ति हाथ लग गई है। हिन्दी को लेकर छाई धुंध के पार भी कुछ साफ साफ दीख रहा है जैसे। 


 स्पेनिश मीडिया में इस संगोष्ठी की चर्चा के कुछ लिंक्स नीचे देखें -

El Norte de Castilla

ABC

Noticias Terra

Rtvcyl.es

Qué!


संगोष्ठी में भाग लेने वालों में (वर्णक्रमानुसार) अफजल अहमद (पुर्तगाल ), ऐश्वर्ज कुमार (केंब्रिज, ब्रिटेन), अलका आत्रेय (विएना, ऑस्ट्रिया),  आलेजान्द्रा कॉन्सेलारो (तोरीनो, इटली), अरुण प्रकाश मिश्र (स्लोवेनिया), अशोक चक्रधर (भारत), Asun Aller Petite (स्पेन), Biljana Zrnic (क्रोएशिया), धानुता स्तासिक (वारसा, पोलैंड), David Rodríguez Gómez (स्पेन), दीप्ति गोलानी (स्पेन), डॉ. कविता वाचक्नवी (लंदन, ब्रिटेन), डॉ.रामप्रसाद भट्ट (हैमबुर्ग, जर्मनी), डॉ. विजया सती (बुडापेस्ट, हंगरी), गेनादि श्लोम्पेर (इजरायल), Guillermo Rodríguez (स्पेन), Heinz Werner Wessler (उपासला, स्वीडन), हरमन वैन ऑल्फेन (ऑस्टिन, अमेरिका), इंदिरा गैजिएवा (मॉस्को, रूस), वी. रा. जगन्नाथन (भारत), जुस्टयना कुरोव्स्का (बॉन, जर्मनी), कैलाश नारायण तिवारी (वर्सोविया पॉलॉनिया), लुडमीला विक्टोरोव्ना खोकलोवा (मॉस्को, रूस), महेंद्र वर्मा (यॉर्क, ब्रिटेन), Maximilian Magrini Kunze, मोहन कान्त गौतम (हॉलैंड), नवीन चन्द्र लोहानी (स्विट्जरलैंड), पूनम जुनेजा (मॉरिशस),  नारायण राजू ( सोफिया, बुल्गारिया), रमेश शर्मा (ब्रूसेल्ज़, बेल्जियम), Raúl Ruano Pascual (स्पेन), सबीना पॉपर्लैन (बुखारेस्ट, रोमानिया), शेफाली वर्मा (स्पेन), शिव कुमार सिंह (लिस्बोआ, पुर्तगाल), श्रीशचन्द्र जैसवाल (वय्यादोलिद, स्पेन), तात्याना ओरेन्स्काईया (हैंबुर्ग, जर्मनी), उदय नारायण सिंह (भारत), वैष्णा नारंग (भारत), वानिया गांचेवा (सोफिया बुल्गारिया) व विभूति नारायण राय (भारत) आदि प्रतिनिधियों के अतिरिक्त  स्पेन में भारत के राजदूत, कासाइंदिया के निदेशक, वय्यादोलिद विश्वविद्यालय के कुलपति व एशियन स्टडीज़ की अध्यक्षा सहित कई गणमान्य व्यक्ति सम्मिलित थे। 


संगोष्ठी के अलग अलग अवसरों के चित्र मेरे कैमरे में हैं। जिन्हें यथाशीघ्र यात्रा विवरण, कार्यक्रम की विशद रिपोर्ट आदि सहित पुनः प्रस्तुत करूँगी। बस कुछ विलंब हो सकता है। वस्तुतः 26/27 मार्च को भारत जा रही हूँ, वर्धा विश्वविद्यालय व दिल्ली। उसकी तैयारी के चलते कुछ विलंब हो सकता है।  संभवतः वहाँ से लौट कर तुरंत यहीं बाँटूँगी। 


शीघ्र ही संगोष्ठी के चर्चा बिन्दु, निष्कर्ष व पारित प्रस्तावों सहित शेष जानकारियाँ भी दूँगी।तब तक हमारे मित्र प्रो. गेनादी श्लोम्पेर (इजरायल ) के कमरे की आँख से लिए ये चित्र देखें - 

























































































 







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2 टिप्‍पणियां:

  1. RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा20 मार्च 2012 को 9:34:00 am GMT-5 बजे

    अनेक बार बधाई!

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  2. मुनीश ( munish )29 अप्रैल 2012 को 3:17:00 am GMT-5 बजे

    उगते सूरज के देश से बधाई । हिन्दी का परचम अभी तो तोक्यो में लहराता देखा अब पश्चिम में देख कर और खुशी हो रही है ।

    मुनीश शर्मा
    जापान लोक प्रसारण निगम (NHK), तोक्यो

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    उत्तर
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