tag:blogger.com,1999:blog-2246434188259243530.post3039226518075248979..comments2023-04-17T05:00:04.786-05:00Comments on "विश्वम्भरा" : विश्वं भवत्येक नीडम्: दक्षिण चीन में स्थापित होगी हिन्दी पीठUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2246434188259243530.post-49854707816196834492012-06-26T10:28:05.503-05:002012-06-26T10:28:05.503-05:00चीन की रीत बड़ी निराली। उद्देश्य हिन्दी की लोकप्रिय...चीन की रीत बड़ी निराली। उद्देश्य हिन्दी की लोकप्रियता नहीं अपितु व्यापार की सुलभता है। कुछ भी हो, हम तो यह मानकर चल रहे हैं कि भाषा से संवाद की सुलभता होगी और संवाद से एक-दूसरे को समझने की राह आसान होगी। आस्ट्रेलिया ने तो विदेशी भाषाओं में हिन्दी को सीखने की आवश्यकता को ही नकार दिया है।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2246434188259243530.post-49604102843007626522012-06-17T06:26:49.978-05:002012-06-17T06:26:49.978-05:00कई बार सुनने में आता है कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध...कई बार सुनने में आता है कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के माध्यम से हिंदी अध्यापन के लिए जाने वाले विद्वान प्रायः चीन जाने से कतराते हैं - अमरीका और यूरोप के लिए एडी चोटी का पसीना निकालते रहते हैं. खैर.....<br /><br />सुखद समाचार है. हिंदी को फैलना ही चाहिए.....दुनिया भर में.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.com